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Aspirin linked to Heart Failure Risk: आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में ज्यादा थकान होने पर सिरदर्द, बदन दर्द, तनाव, बुखार के लक्षण उभर आते हैं और हम उससे राहत के लिए तुरंत कोई दर्द निवारक (Pain Killer) ले लेते हैं. लेकिन यहां ये जानना भी जरूरी है कि किसी बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं से तुरंत राहत तो मिल जाती है, लेकिन बाद में उसके साइड इफेक्ट भी देखने को मिलते हैं. इसलिए हमेशा से ये सलाह दी जाती है कि कभी भी अपने मन से दवा नहीं लेनी चाहिए. एक नई स्टडी में भी ये बात सामने आई है कि दर्द, बुखार, सूजन या जलन से निजात पाने और हार्ट अटैक के तत्काल बाद जान बचाने के लिए आमतौर पर प्रयोग की जाने वाली दवा एस्पिरिन (Aspirin) से भी खतरा हो सकता है. इस नई रिसर्च में बताया गया है कि एस्पिरिन से हार्ट फेलियर (Heart Failure) का खतरा 26 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. ये स्टडी यूरोपियन सॉसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी (European Society of Cardiology) के जर्नल ‘ईसीएस हार्ट फेलियर (ESC Heart Failure)’ में प्रकाशित की गई है. हालांकि, बता दें कि हार्ट फेलियर का संबंध स्मोकिंग (Smoking), मोटापा (obesity), हाई ब्लड प्रेशर (High BP), हाई कॉलेस्ट्रॉल (high cholesterol), डायबिटीज (Diabetes) और कार्डियोवस्कुलर डिजीज (cardiovascular disease) जैसे कारकों से भी है.
जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ फ्रीबर्ग (University of Freiburg) के साइंटिस्ट और इस स्टडी के राइटर डॉक्टर ब्लेरिम मुजाज (Dr Blerim Mujaj) के अनुसार, ‘ये अपने आप में पहली स्टडी है, जिसमें एस्पिरिन लेने वाले व्यक्ति में यह दवा नहीं लेने वालों की तुलना में हार्ट फेलियर के रिस्क का विशिष्ट तौर पता लगाया गया है.’ हालांकि, उन्होंने ये भी स्पष्ट किया है कि इस स्टडी (Study) के निष्कर्ष की अभी और पुष्टी होनी है, लेकिन इससे ये संकेत मिलते हैं कि एस्पिरिन (Aspirin) के यूज और हार्ट फेलियर के बढ़े संकट के बीच संबंध हैं. क्योंकि हार्ट फेलियर के मामले में एस्पिरिन के प्रभाव को लेकर दुनियाभर के विशेषज्ञ एकमत नहीं है, इसलिए स्टडी में इसकी पड़ताल की गई कि जिन लोगों को कोई हार्ट डिजीज नहीं है, उनमें क्या ये दवा नए तरीके से खतरा पैदा करती है?
कैसे हुई स्टडी?
वेस्टर्न यूरोप और अमेरिका में होमेज स्टडी में शामिल 30 हजार 827 ऐसे लोगों के डeटा का विश्लेषण किया गया, जिन्हें हार्ट फेलियर का रिस्क था. खतरे (At Risk) वाले वर्ग में उन लोगों को रखा गया जिनमें स्मोकिंग, मोटापा, हाई बीपी, हाई कॉलेस्ट्रॉल, डायबिटीज और कार्डियोवस्कुलर डिजीज में से एक या उससे ज्यादा लक्षण थे. इन्हें सूचीबद्ध (Listed) करने के टाइम एस्पिरिन लेने वाले और एस्पिरिन (Aspirin) नहीं लेने वाले दो ग्रुप्स में बांटा गया. इसके बाद इनका फॉलोअप किया गया, जिसमें ये जानकारी जुटाई गई कि उनमें पहला हार्ट फेलियर कब हुआ? वह बच गए या उनकी मौत हो गई? या फिर उनके अस्पताल में भर्ती होने की वजह क्या थी?
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बेसलाइन पर 7 हजार 698 यानी करीब 25 प्रतिशत लोग एस्पिरिन (Aspirin) ले रहे थे. इसके बाद 5.3 साल के फॉलोअप में पाया गया कि 1330 लोगों में हार्ट फेलियर की नई समस्या हुई.
स्टडी में क्या निकला?
इसके आधार पर रिसर्चर्स ने एस्पिरिन (Aspirin) के यूज और हार्ट फेलियर की घटनाओं के बीच रिलेशंस की जांच की. जिसमें लिंग, उम्र, बॉडी मास इंडेक्स, स्मोकिंग, एल्कोहॉलिक, ब्लड कॉलेस्ट्रॉल, हाईपरटेंशन, डायबिटीज, कार्डियोवस्कुलर डिजीज तथा इनके इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं का भी ध्यान रखा गया. इसमें पाया गया कि जिन लोगों ने स्वतंत्र रूप से एस्पिरिन का इस्तेमाल किया, उनमें नए सिरे से हार्ट फेलियर के रिस्क की पहचान हुई और ये रिस्क 26 प्रतिशत तक बढ़ा था.
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इस स्टडी के नतीजों की पुष्टि के लिए रिसर्चर्स ने एस्पिरिन (Aspirin) लेने वाले और नहीं लेने वाले लोगों के बीच भी हार्ट फेलियर के रिस्क का अन्य कारकों के साथ तुलनात्मक अध्ययन किया और उसमें भी हार्ट फेलियर का नया खतरा 26 प्रतिशत तक बढ़ा पाया गया.
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Tags: Aspirin, Health, Health News, Heart attack
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