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Omicron possible threat and public health: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अगाह किया है कि जिस रफ्तार से कोरोना का ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron variant) अपना पांव पसार रहा है, उसमें हमें तत्काल सार्जनिक स्वास्थ्य सेवाओं (Public health service) की क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता है. WHO में दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र (South-East Asia Region) की क्षेत्रीय निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह (Poonam Khetrapal Singh) ने बताया कि दक्षिण पूर्व एशिया के सात देशों में ओमिक्रॉन वेरिएंट के प्रसार की पुष्टि हो चुकी है. इसलिए इस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की क्षमता में वृद्धि और सामाजिक उपाय (Social measures) पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. गौरतलब है कि भारत में भी अब तक ओमिक्रॉन के 80 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं.
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हाई रिस्क वाले लोगों को बचाना प्राथमिकता
बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक पूनम खेत्रपाल ने बताया कि हमारा मुख्य फोकस इस बात पर होना चाहिए कि जो लोग कम सुरक्षित हैं, उनकी रक्षा होनी चाहिए. इसके अलावा जो लोग हाई रिस्क में हैं, उन्हें भी संक्रमण से बचाने की जरूरत है. इसके लिए पहले से सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन से उत्पन्न खतरों की गंभीरता तीन मुख्य बातों पर निर्भर करती है. पहला यह कितनी तेजी से संक्रमित कर सकता है, दूसरा इसके खिलाफ वैक्सीन कितनी कारगर है और तीसरा इसके खिलाफ पहले के संक्रमण से कोई फर्क पड़ता है या नहीं. इन तीनों बातों को ध्यान में रखते हुए अभी तक हमें यह पता चला है कि ओमिक्रॉन पहले की तुलना में बहुत तेजी से दूसरों को संक्रमित कर सकता है. इसलिए हमें पहले से तैयारी की जरूरत है.
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ओमिक्रॉन को कमजोर मानकर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए
पूनम खेत्रपाल ने कहा कि अभी हमारे पास ओमिक्रॉन को लेकर बहुत कम जानकारी प्राप्त है लेकिन अच्छी बात यह है कि ओमिक्रॉन से गंभीर रूप से बीमार पड़ने के बहुत कम मामले सामने आ रहे हैं. हमें उम्मीद है कि अगले सप्ताह तक इसके बारे में ज्यादा जानकारी मिलेगी. लेकिन किसी भी हाल में ओमिक्रॉन को हल्का मानकर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
बेशक इससे गंभीर रूप से लोग बीमार नहीं पड़ते लेकिन तेजी से संक्रमित करने के कारण ओमिक्रॉन सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पर अतिरिक्त बोझ डाल सकता है. इसलिए समय रहते आईसीयू की क्षमताओं में विस्तार, ऑक्सीजन की उपलब्धता, पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल कर्मी आदि सेवाओं को मजबूत करने की जरूरत है.
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